मंगलवार, 19 जुलाई 2011

माँ


सब कुछ बदल रहा है सिवाय माँ के ....




-दुनिया की नज़रों में

बेटा बड़ा हो रहा है /

माँ की नज़र में तो

उसका कपड़ा छोटा हो रहा है !

माँ के आशीष का विस्तार इन पंक्तियों में प्रकट करने का प्रयास कर रहा हूँ -

-घर से दूर भी

घर का पता

साथ चल रहा है /

घर में माँ के हाथों

जलाया दीप

जल रहा है !

बच्चों की सलामती के लिए माँ क्या कुछ नहीं करती ,एक बानगी -

-मेरी खेरियत की

दुआ माँ करती है /

आज भी पकाई पहली रोटी

गाय को अर्पण करती है !



माँ का आशीष सभी ब्लोगर्स पर सदेव बरसता रहे इन्ही शुभकामनाओं के साथ ........

सुधीर