गीत बदरियाँ हुए बेगाने
- भींगा न आँचल
भींगा काजल
चुप्प हुए है बोल ....
दिखता सागर
सकोरे में
सावन मेरे
अब तो गठरी खोल !
- कंठ व्याकुल
गुमसुम बदरियाँ
बजरिया उड़ाती धूल....
वसुधा प्यासी
अब जाने कैसे
खिले फूल !
- नाँव कागज की
चले कैसे ?
सोचे 'बाला' आज....
बीज रखा हाथों में
कैसे बजे
अब साज !