पर सोचता हूँ मैं ...........
१- जानता हूँ
औंस की
बूंदों की
पाकीजगी को
पर सोचता हूँ ..
यें इतनी जल्दी
ढुलकी कैसे ?
२- जानता हूँ
कि तुम्हें
तुम्हारा
सारा सामान
अब लोटाना होगा
पर सोचता हूँ ..
चुराए हुए
चुम्बन लोटाऊ कैसे ?
३- जानता हूँ
स्नेह से
मुफलिसी का
कोई वास्ता नहीं
पर सोचता हूँ ..
दिल बेचकर तुम
धनी हुए कैसे ?