श्री श्री ब्लॉगनाथ महाराज को
अर्पित स्तुति छंद
- जेहि विधि होय हित मोरा
नाथ तुम्हें वो करना है !
थोड़ा ही सही
लिफ्ट तुम्हें ब्लॉग मेरा करना है !!
- हे कलम -शब्दों के स्वामी
मुझे भरोसा तेरा है !
अच्छी -बुरी सब रचनाओं का
एक तु ही तो डेरा है !!
- 'बढ़िया है' 'अच्छी है'
रचनाओं पर हे नाथ
टिप्पणी मिली कई बार !
भिन्न मिले टिप्पणी
बस यही मुझको दरकार !!
- सौंप दिया तुझको शब्द-धन
फिर क्यूं चिंता फिकर करू !
दिल का हाल सुने दिलवाला
बस यही तो मैं अरज करू !!
शनिवार, 13 नवंबर 2010
गुरुवार, 11 नवंबर 2010
तंग गलियों के
छोटे कमरों में
पसरे सपने
जीवन के कतिपय संकेत -
छोंक की गंध
और
कुलबुलाते धुंए
से बाबस्ता हो
बाहर आ पसरते है !
छोंक की गंध
गलियों के मुहाने पर
खुलते
ऊँची इमारतों से घिरे
बड़े चौराहों की
तथाकथिक सु-गंध में
कहीं तिरोहित हो
जाती है !
कुलबुलाता धुआं भी
समय के काँधे पर
बेताली प्रश्न -
क्या चौराहें 'सुरसा'
होते है ?
पटक कहीं अद्रश्य हो
जाता है !
अनुत्तरित प्रश्न जो
आज भी लटका है
कल की तरह /
हे जन-नायक
क्या मुझे ही यह
नज़र आता है ..............?
छोटे कमरों में
पसरे सपने
जीवन के कतिपय संकेत -
छोंक की गंध
और
कुलबुलाते धुंए
से बाबस्ता हो
बाहर आ पसरते है !
छोंक की गंध
गलियों के मुहाने पर
खुलते
ऊँची इमारतों से घिरे
बड़े चौराहों की
तथाकथिक सु-गंध में
कहीं तिरोहित हो
जाती है !
कुलबुलाता धुआं भी
समय के काँधे पर
बेताली प्रश्न -
क्या चौराहें 'सुरसा'
होते है ?
पटक कहीं अद्रश्य हो
जाता है !
अनुत्तरित प्रश्न जो
आज भी लटका है
कल की तरह /
हे जन-नायक
क्या मुझे ही यह
नज़र आता है ..............?
रविवार, 7 नवंबर 2010
शुक्रवार, 5 नवंबर 2010
बुधवार, 3 नवंबर 2010
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