अपने सभी संघर्षरत मित्रों का संघर्ष सहज हो सके इस हेतु कुछ पंक्तियाँ गढ़ रहा हूँ !
दिवा स्वेद से
रंजित
न हो /
स्वप्न सलोने
होते नहीं ...
कर्म पथ
मर्म मन /
आँखों में जब
हो न अर्जुन /
स्वप्न सलोने
होते नहीं ...
कर्म पथ ही है
बंधू
क़दमों से विराम
की दुरी ...
विकल्पहीन
संकल्प न हो /
स्वप्न सलोने
होते नहीं !
सोमवार, 21 जून 2010
सोमवार, 14 जून 2010
बुधवार, 9 जून 2010
रविवार, 6 जून 2010
रामदुलारो को समर्पित पंक्तिया
रामदुलारी का मायके जाना
है सुख इसमें हमने माना!!
है इसमें स्वछंदता का बोध
ले ले पुनः आजादी का भोग !!
मुश्किल से मिलता है यह सबाब
जब न देना कोई हिसाब !!
न आटे दाल से हो दो चार
न मानस उपजे बजट विचार !!
उठो , नहा लो , खा लो के बाधक नहीं प्रश्न
यार मेरे अब मना ले जश्न !!
फरमाइशे भी हुई स्थगित
अब बना ले खुद को मीत !!
काल है अल्प यह मेरे यारा
तलाशोगे मौका तुम दोबारा !!
अनिकेतन में है मौज का आलम
पर याद जरूर रखियो बालम /
याद सताती है तुम्हारी , फुनवा पर जरूर कहना !
आफ्टरआल होती है , रामदुलारी घर का गहना !!
रामदुलारी का मायके जाना
है सुख इसमें हमने माना!!
है इसमें स्वछंदता का बोध
ले ले पुनः आजादी का भोग !!
मुश्किल से मिलता है यह सबाब
जब न देना कोई हिसाब !!
न आटे दाल से हो दो चार
न मानस उपजे बजट विचार !!
उठो , नहा लो , खा लो के बाधक नहीं प्रश्न
यार मेरे अब मना ले जश्न !!
फरमाइशे भी हुई स्थगित
अब बना ले खुद को मीत !!
काल है अल्प यह मेरे यारा
तलाशोगे मौका तुम दोबारा !!
अनिकेतन में है मौज का आलम
पर याद जरूर रखियो बालम /
याद सताती है तुम्हारी , फुनवा पर जरूर कहना !
आफ्टरआल होती है , रामदुलारी घर का गहना !!
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