सोमवार, 21 जून 2010

अपने सभी संघर्षरत मित्रों का संघर्ष सहज हो सके इस हेतु कुछ पंक्तियाँ गढ़ रहा हूँ !


दिवा स्वेद से
रंजित
न हो /
स्वप्न सलोने
होते नहीं ...
कर्म पथ
मर्म मन /
आँखों में जब
हो न अर्जुन /
स्वप्न सलोने
होते नहीं ...
कर्म पथ ही है
बंधू
क़दमों से विराम
की दुरी ...
विकल्पहीन
संकल्प न हो /
स्वप्न सलोने
होते नहीं !

सोमवार, 14 जून 2010

इस हाथ ले
उस हाथ दे
की तिजारत
करती है
तय
उम्र रिश्तो की...
भूल चुक
लेनी देनी /
राम नाम सत्य है
की ध्वनि छोड़
कब रुखसत
हो जाएगा
रिश्ता
कोई जानता नहीं !

बुधवार, 9 जून 2010

खिलता है
पलाश
जब सिमटती है
निशा
सूरज की
बांहों में /
मुस्काता है
पलाश
जब वादा लेता है
सावन से
फिर जल्द आने का /
उसने भी रखा है 
हाथ पर मेरे 
चुपके से
पलाश /
अब के सावन
कहीं
देर न कर दे
आने में ....
सोच यही
कुछ डरता हूँ !

रविवार, 6 जून 2010

रामदुलारो को समर्पित पंक्तिया
रामदुलारी का मायके जाना
है सुख इसमें हमने माना!!
है इसमें स्वछंदता का बोध
ले ले पुनः आजादी का भोग !!
मुश्किल से मिलता है यह सबाब
जब न देना कोई हिसाब !!
न आटे दाल से हो दो चार
न मानस उपजे बजट विचार !!
उठो , नहा लो , खा लो  के बाधक नहीं प्रश्न
यार मेरे अब मना ले जश्न !!
फरमाइशे भी हुई स्थगित
अब बना ले खुद को मीत !!
काल है अल्प यह मेरे यारा
तलाशोगे मौका तुम दोबारा !!
अनिकेतन में है मौज का आलम
पर याद जरूर रखियो बालम /
याद सताती है तुम्हारी , फुनवा पर जरूर कहना !
आफ्टरआल होती है , रामदुलारी घर का गहना !!

बुधवार, 2 जून 2010

स्वेद पौध
हर रात
पिचका पेट लिए
वह
आकाश तकता है
माँ कहती है
चंदा गोल है
रोटी जैसा !
सजावट
तपती धुप में
स्वेद कण से
रंजित काया /
सजती है
ठन्डे ड्राइंग रूम
की दीवारों पर !
स्वेदाकार
स्वेद से उपजी 
क्रांति
दो रोटी में
दफ़न होती है /
स्वेद्काया की
परछाई
भला कहाँ
लम्बी होती है !