रविवार, 13 फ़रवरी 2011

दुक्की


मैं
प्रेम और समर्पण
के मध्य की
रिक्तता को
पुरता गया
और ..........
'खाली' होता गया !


वो
मेरी खेरियत
को लेकर
फिक्रमंद सा
दिखता है /
उसका तरकश
अभी भरा नहीं है !

बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

वसंत एवं पतझड़ की प्रतिक दो भाव संक्षिप्तियाँ प्रस्तुत है -

             1

उसके आँचल
    में सिमटी
    सारी तितलियाँ
    उड़ पड़ती है  /
    जब मेरे 
    ख्यालों में
    वो खिल पड़ती है !

           2 

    उसके खतों से 
    अक्षर उड़ चले..... 
    इबादत का 
    सामान 
    अब कहाँ ...........? 

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

दो कड्वें सच

किसी के
गिरेबान में
झांककर
उसकी नंगाई
उजागर मत करना /
हदबंदी करना
सियासतदारों को 
खूब आता है .....!


वो मौत से
पहले
जल गया /
दुनियांदारी
सीखने में
इतनी देर
अब ठीक नहीं ......!