बुधवार, 27 अक्तूबर 2010

दूरंगी

    १

पैमाने से
छलकी मधु 
जब
कविता बनती है /
गली के मोड़ की
मधुशाला 
तब 
उसका पता बनती है ! 

     

सुना है
अंगूर की बेटी 
से इश्क 
कर बेठा है
अब वो /
'दीवाना' कहता है 
बोतल पर
बेवफाई की इबारत
लिखी नहीं होती !