गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

ठिठोली

-कहते है
 नेताजी
 हमें 'मत' दो ..
 इच्छा है आपकी 
 मत दो !

-कहते है 
 वह 'सरक' गया है ..
 इच्छा  है आपकी 
 उसकी जगह 
 आप ले लो !

-कहते है
 वह गम 'गलत'
 कर रहा है ..
 चलो अच्छा है 
 कुछ तो सही 
 कर रहा है ! 

-कहते है 
 उसका 'बाजू वाली ' से
 चक्कर चल रहा है ..
 इच्छा है आपकी
 बिना बाजू वाली से मिला दो !

-कहते है
 बहुत 'पकाते' है ..
 इच्छा है आपकी 
 अच्छे शेफ से मिला दो !

   

मंगलवार, 19 अप्रैल 2011

राहें

तुमने नदी की 
रवानी चुनी 
मैंने कुंए का
ठहरा पानी ...
तुम अपना
विस्तार देखते रहे
और मैं गहराई ...
तुम सागर में
समाहित हो
निश्चित ही
विशालता का
वरण कर लोगे
पर खारेपन के साथ ...
और मैं
गहराई से
धराजल को पा
नूतनता का
वरण कर लूँगा
मीठेपन के साथ ...
फिर ....
...........

कँही व्योम में
प्रियवर
हम होंगे साथ
जंहा एक कदम तुम्हारा
एक कदम मेरा होगा ..
और फैसला होगा
अपने हाथ .....!