गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

ठिठोली

-कहते है
 नेताजी
 हमें 'मत' दो ..
 इच्छा है आपकी 
 मत दो !

-कहते है 
 वह 'सरक' गया है ..
 इच्छा  है आपकी 
 उसकी जगह 
 आप ले लो !

-कहते है
 वह गम 'गलत'
 कर रहा है ..
 चलो अच्छा है 
 कुछ तो सही 
 कर रहा है ! 

-कहते है 
 उसका 'बाजू वाली ' से
 चक्कर चल रहा है ..
 इच्छा है आपकी
 बिना बाजू वाली से मिला दो !

-कहते है
 बहुत 'पकाते' है ..
 इच्छा है आपकी 
 अच्छे शेफ से मिला दो !

   

1 टिप्पणी:

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

कहते हैं हम कि
'ठिठोली' सुन्दर है
अभी तो बहुत कुछ

आपके अंदर है....।"


इस ठिठोली में मज़ा है सुधीर भाई, 'सरक' जाने को यदि दिमागी रूप से 'सरक' जाना भी पढा जाये तो भी मज़ा है, क्योंकि उसकी जगह लेने की चुनौती भी दी जा सकती है।
यह सचमुच अलग किस्म का लेखन है...सीधे वार रूम वाला।