तीन फिरकियाँ
१
मुफलिसी का
आलम
कुछ इस तरह हुआ
पैबन्दों से
पोशिदा जिस्म
फैशन हुआ !
२
क्यों कर
मेरे इश्क का
इश्तहार
हर जुबां से हुआ
मुख़तसर सी ही
तो बात थी
उनका मेरे कूचे से
गुज़र कर जाना !
३
वो इंतिहा
सितम की
कुछ इस तरह
कर गया
लुट कर चैन रातों का
ख्वाबों से भी
मरहूम कर गया !
1 टिप्पणी:
तीनों शेर बहुत खुबसूरत बधाई
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