बुधवार, 27 अक्तूबर 2010

दूरंगी

    १

पैमाने से
छलकी मधु 
जब
कविता बनती है /
गली के मोड़ की
मधुशाला 
तब 
उसका पता बनती है ! 

     

सुना है
अंगूर की बेटी 
से इश्क 
कर बेठा है
अब वो /
'दीवाना' कहता है 
बोतल पर
बेवफाई की इबारत
लिखी नहीं होती !

5 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

'दीवाना' कहता है
बोतल पर
बेवफाई की इबारत
लिखी नहीं होती !
गजब कि पंक्तियाँ हैं ...

बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूबसूरत ब्लॉग मिल गया, ढूँढने निकले थे। अब तो आते जाते रहेंगे।

sanu shukla ने कहा…

umda...!!

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

वाह गुरु, यहां तो अब पैमाना छलकने लगा है। गली का मोड भी क्या खूबसूरत जगह होती है..मधुशाला ही क्या इन मोड पर ही घटता है जानदार जीवन।
मोड से उनका इठला कर यूं गुजर जाना,
हाय, आंखों ही आंखों में कुछ कह जाना।
मोड से ही गुजरी है गजरे की वो महक़
तन्हा थे अभी कि महफिल का जम जाना।
मोड से इश्क़ का गहरा जो रिश्ता हुआ
चुपके चुपके उनका फिर घर आना जाना।
मोड से ही हुई थी डोली विदा उनकी
कमबख्त आंसू को बस पौछते जाना।
-लो क्या बन गया..खैर। सुधीर भाई बहुत खूबसरत अन्दाज़ है आपका। दोनों क्षणिकायें बेहतरीन।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

Kya baat hai ... Galiyan bhi pata bataane lagi ab to ...