सोमवार, 14 जून 2010

इस हाथ ले
उस हाथ दे
की तिजारत
करती है
तय
उम्र रिश्तो की...
भूल चुक
लेनी देनी /
राम नाम सत्य है
की ध्वनि छोड़
कब रुखसत
हो जाएगा
रिश्ता
कोई जानता नहीं !

2 टिप्‍पणियां:

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत बढिया लाइने हैं जनाब,
इस हाथ ले
उस हाथ ले
की तिजारत
करती है
तय
उम्र रिश्तो की...
दरअसल जो बान्धे जाने वाले रिश्ते होते हैं उसमे ऐसी सत्यता है, किंतु जो रिश्ते हैं ही, स्वरिश्ते उसमे भूलचूक लेनी देनी हो सकती है किंतु इस हाथ दे इस हाथ ले कि तिजारत नहीं होती..बहरहाल..बेहतरीन है..\ आप अन्यों के ब्लोग पर जाकर टिप्पणी दें ताकि लोग आपसे जुड सकें...क्या करे यहां की ये रीत ही हो गई है। इस बहाने आपका सफर भी हो जायेगा और लोग आपसे मुलाकात करने आपके ठिये पर भी पहुचने लगेंगे...।

सुशील छौक्कर ने कहा…

क्या कहे जी एक सच्चाई कह दी आपने
। कम शब्दों में बहुत कुछ कह देते है आप। आपके लेखन की तारीफ सुनी अमिताभ जी तो आ गए आपके ब्लोग और सच आपका लेखन तारीफ के काबिल है। इसलिए अब आते रहेगे