शनिवार, 13 नवंबर 2010

    श्री श्री ब्लॉगनाथ महाराज को
          अर्पित स्तुति छंद

 -   जेहि विधि होय हित मोरा 
     नाथ तुम्हें वो करना है !
     थोड़ा ही सही
     लिफ्ट तुम्हें ब्लॉग मेरा करना है !!

-    हे कलम -शब्दों के स्वामी
     मुझे भरोसा तेरा है !
     अच्छी -बुरी सब रचनाओं का
     एक तु ही तो डेरा है !!

-   'बढ़िया है' 'अच्छी है'
    रचनाओं पर हे नाथ
    टिप्पणी मिली कई बार !
    भिन्न मिले टिप्पणी
    बस  यही मुझको दरकार !!

-   सौंप दिया तुझको शब्द-धन
    फिर क्यूं चिंता फिकर करू !
    दिल का हाल सुने दिलवाला
    बस यही तो मैं अरज करू !!

3 टिप्‍पणियां:

Jyoti ने कहा…

Lage Raho Munna Bhai
Koi na koi tippni mil hi jayegi

समय चक्र ने कहा…

भिन्न मिले टिप्पणी
बस यही मुझको दरकार !!

रोचक प्रस्तुति.... आभार

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

स्वांतः सुखाय। श्री श्री ब्लॉगनाथ महाराज का वर।

भिन्न टिप्पणियों के लिये पढना पडता है श्रीमान

और आजकल कहां किसके पास टाइम...अगले ब्लॉग पर नहीं जायेंगे तो उनके ब्लॉग को कौन देखेगा..????बस्स यही है ब्लोगनाथ का हश्र।
किंतु अच्छा लेखन यदि अच्छे पाठक में एक भी पढ लें तो वो हजार के बराबर हो जाता है। सो हमने पढा और तारीफ भी........।