
मौका मिला तो ...........
लिख दू
ककहरा
स्लेट पर बेटे की
कुछ स्वप्न दू /
बताऊ कि दुनिया
अच्छी ही है !
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हो जाऊ थोड़ा रूमानी
गजरा दू प्रेयसी को /
कानों में उसके कह दू
प्रेम होता है
भौतिकता से परे !
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धुंए से जलती
आँखों को
खाली पेट /
चिंतातुर मानस को
समझाऊ
रोटी महकती भी है !
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बढती बिटिया को
दू स्नेहाशीष /
और समझाऊ
संस्कृति साथ लेकर
सभ्यता की दौड़ में
शामिल होना
कतई बुरा नहीं है !
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