tag:blogger.com,1999:blog-9190034116995409194.post8234070538211208256..comments2023-09-19T05:32:55.746-07:00Comments on आगाज़...: सुधीर महाजनhttp://www.blogger.com/profile/08679052912179195911noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-9190034116995409194.post-7285975051319477482010-08-23T03:05:47.820-07:002010-08-23T03:05:47.820-07:00Dear sudhir,
i saw ur blog it was awesome bey...Dear sudhir,<br /> i saw ur blog it was awesome beyond my expectation.....<br /><br /> i have a one problem....itz gud that u r given the to blog...but inspite of giving lot of time to ur "aagazz" give also some time 2 ur frend also......sanjay sharmahttp://www.shalabh305.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9190034116995409194.post-56846743850058114432010-07-29T12:11:22.471-07:002010-07-29T12:11:22.471-07:00बर्त्तमान का ब्यथा साफ देखाई देता है आपके हर छंद म...बर्त्तमान का ब्यथा साफ देखाई देता है आपके हर छंद में...महाजन जी, बेहतरीन!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9190034116995409194.post-25048545711518878282010-07-29T09:18:44.602-07:002010-07-29T09:18:44.602-07:00हां, जनरेशन गेप की बात भी यहां ध्यान में आती है। त...हां, जनरेशन गेप की बात भी यहां ध्यान में आती है। तभी आपने शायद यह लिख दिया कि मौका मिला तो...। बेहतरीन रचना। दुनिया के अच्छे होने का स्वप्न देना भी बहुत मीठा लगता है। फिर यह तो बहुत गज़ब की बात है कि प्रेम भौतिकता से परे है। प्रेम का यह भाव कृष्णपक्षीय है। जहां रूमानी होना सादगी और पवित्रता का प्रतीक है। गज़रा प्रेम के आत्मा की मोहक गन्ध का भान कराता है और फिर कानों मे कहना यह भाव प्रेम के निच्छल किंतु बेहद निजी पक्ष की और संकेत देता है जो प्रेम का अपना रहस्य है। <br />रोटी की महक..यथार्थ के जलते प्रश्न को प्रकट करती है। वहीं बिटिया के लिये लिखी पंक्ति दिल को छू जाने वाली है। यह सौ टके की बात कही है। भाई सुधीरजी, मज़ा आ गया पढने में।अमिताभ श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9190034116995409194.post-86781765323569995312010-07-29T08:39:58.530-07:002010-07-29T08:39:58.530-07:00धुंए से जलती
...धुंए से जलती<br /> आँखों को<br /> खाली पेट /<br /> चिंतातुर मानस को<br /> समझाऊ<br /> रोटी महकती भी है !<br /> -----------<br /><br />बढती बिटिया को<br />दू स्नेहाशीष /<br />और समझाऊ<br />संस्कृति साथ लेकर<br />सभ्यता की दौड़ में<br />शामिल होना<br />कतई बुरा नहीं है !<br />बहुत ही सुंदर ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9190034116995409194.post-6900684387412564402010-07-29T08:39:57.215-07:002010-07-29T08:39:57.215-07:00धुंए से जलती
...धुंए से जलती<br /> आँखों को<br /> खाली पेट /<br /> चिंतातुर मानस को<br /> समझाऊ<br /> रोटी महकती भी है !<br /> -----------<br /><br />बढती बिटिया को<br />दू स्नेहाशीष /<br />और समझाऊ<br />संस्कृति साथ लेकर<br />सभ्यता की दौड़ में<br />शामिल होना<br />कतई बुरा नहीं है !<br />बहुत ही सुंदर ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.com