tag:blogger.com,1999:blog-9190034116995409194.post1181515878681408885..comments2023-09-19T05:32:55.746-07:00Comments on आगाज़...: सुधीर महाजनhttp://www.blogger.com/profile/08679052912179195911noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-9190034116995409194.post-53896533646142580762011-05-01T10:46:34.860-07:002011-05-01T10:46:34.860-07:00क्या बात है। बहुत खूब लिखा है, मुझे यह बहुत पसंद आ...क्या बात है। बहुत खूब लिखा है, मुझे यह बहुत पसंद आया।<br />पिछले कुछ दिनों से कार्यों की अधिकतावश पढना छूटा तो मन में कसक भी बढ चली थी, और जब इस रचना को पढा तो अच्छा लगा। सागर मे समाहित होने वाला प्रसंग मुझे बहुत भाया...धराजल की नूतनता, जीवन भी है। सागर खारा और उथला सा है..विशालता की प्रचंडता को बेहतरीन कूंचा है सुधीर। मीठापन जीवन में है, सादे-सादगी वाले।अमिताभ श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.com